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Price: ₹117.00
(as of Jul 18, 2021 00:03:28 UTC – Details)


यह किताब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हिंदी मीडियम के युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई है।

इस किताब में कोशिश की गई है कि हिंदी पट्टी के युवाओं की ज़रूरतों के मुताबिक़ कैरियर और ज़िंदगी दोनों की राह में उनकी सकारात्मक रूप से मदद की जाए। इस किताब के छोटे-छोटे लाइफ़ मंत्र इस किताब को खास बनाते हैं। ये छोटे-छोटे मंत्र जीवन में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

इस किताब की कुछ और ख़ासियतें भी हैं। इसमें पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के प्रैक्टिकल नुस्ख़ों के साथ स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट पर भी विस्तार से बात की गई है। चिंतन प्रक्रिया में छोटे-छोटे बदलाव लाकर अपने कैरियर और ज़िंदगी को काफ़ी बेहतर बनाया जा सकता है। विद्यार्थियों के लिए रीडिंग और राइटिंग स्किल को सुधारने पर भी इस किताब में बात की गई है। कुल मिलाकर किताब में कोशिश की गई है कि सरल और अपनी-सी लगने वाली भाषा में युवाओं के मन को टटोलकर उनके मन के ऊहापोह और उलझनों को सुलझाया जा सके।

इस मोटिवेशनल किताब में असफलता को हैंडल करने और सफलता की राह पर बढ़ते जाने कुछ नुस्ख़े भी सुझाए हैं। ऐसे 26 युवाओं की सफलता की शानदार कहानियाँ भी उन्हीं की ज़ुबानी इस किताब के अंत में शामिल हैं, जिन्होंने तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद ‘रुक जाना नहीं’ का मंत्र अपनाकर सफलता की राह बनाई और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने।


From the Publisher

nishantnishant

ज़्यादातर मोटिवेशनल किताबों के मामलों में देखा गया है कि वे सभी अंग्रेज़ी भाषा में लिखी जाती हैं। ऐसे में आपके अंदर हिंदी भाषा में एक प्रेरणादायी किताब लिखने का ख़याल कैसे आया?

– हिंदी में उपलब्ध ज़्यादातर मोटिवेशनल किताबें इंग्लिश की मशहूर किताबों का अनुवाद हैं। हिंदी पट्टी यानी उत्तर भारत के लोगों के टेस्ट और ज़रूरतों के मुताबिक़ हिंदी में एक देसी मोटिवेशनल किताब की दरकार थी। मैंने उसी गैप को भरने की कोशिश की। मैं ऐसा इसलिए भी कर सका क्योंकि मैंने ख़ुद हिंदी मीडियम के छात्रों के संघर्ष को जिया है और ख़ुद उस सफ़र को पार कर सफलता भी पाई है।

आपने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए किताबें लिखी हैं, अब आपने एक किताब मोटिवेशनल जॉनर की लिखी। आगे आप और किन ज़ॉनर्स में किताबें लिखना पसंद करेंगे?

– मैंने UPSC एग्ज़ाम के लिए ‘मुझे बनना है UPSC टॉपर’ किताब लिखी, जो बहुत ज़्यादा पसंद की गई। मोटिवेशनल किताब ‘रुक जाना नहीं’ आपके सामने है और यह भी बेस्टसेलर बन चुकी है। अब मेरा मन है कि मैं ‘संस्मरण’ और ‘ट्रेवलॉग’ लिखूँ। वैसे मेरी मूल विधा ‘कविता’ है, तो संभव है कि मेरा कविता संग्रह भी जल्द प्रकाशित हो।

आपने अब तक कौन-कौन सी किताबें लिखी हैं? वे किन-किन विषयों पर हैं ?

– मैंने अब तक कुल 7 नॉन-फिक्शन किताबें लिखी हैं-

‘रुक जाना नहीं’ (मोटिवेशन/ सेल्फ़-हेल्प) – हिन्द युग्म/ एका (वेस्टलैंड)’मुझे बनना है UPSC टॉपर’ (परीक्षा की तैयारी) – प्रभात प्रकाशन’राजभाषा के रूप में हिन्दी’ (अकादमिक) – नेशनल बुक ट्रस्ट’सिविल सेवा परीक्षा के लिए निबंध’ (परीक्षा की तैयारी) – राजकमल प्रकाशन’शादी बंदर मामा की’ (बाल-कविता) – प्रभात प्रकाशन’भारत में लोक प्रबंधन’ (अकादमिक) – प्रभात प्रकाशन’कुशल प्रशासक के गुण एवं कौशल’ (अकादमिक) – प्रभात प्रकाशन

आप केवल अपनी व्यक्तिगत जीवन-यात्रा के बारे में लिखकर भी इस किताब को ला सकते थे। फिर भी आपने कई अन्य आईएएस अधिकारियों की कहानियों को इसमें जगह दी। उसके पीछे क्या वजह रही?

– मैंने अपनी कहानी तो लिखी ही है, पर हमें जो अनुभव और मोटिवेशन अलग-अलग लोगों के संघर्ष की विविधतापूर्ण कहानियों से मिलता है, उसका कोई मुक़ाबला नहीं है। ‘रुक जाना नहीं’ में ‘सफलता की राह पर बढ़ते जाने के जीवन मंत्र’ तो हैं ही, सफलता की कुछ अनकही शानदार कहानियाँ भी इस किताब के अंत में शामिल हैं।

आपकी किताब ‘रुक जाना नहीं’ लगातार चर्चाओं में रही है। युवा पाठक इसे आख़िर क्यों पढ़ें?

– इस किताब में कोशिश की गई है कि हिंदी पट्टी के युवाओं की ज़रूरतों के मुताबिक़ कैरियर और ज़िंदगी दोनों की राह में उनकी सकारात्मक रूप से मदद की जाए। इसके छोटे-छोटे लाइफ़ मंत्र इस किताब को खास बनाते हैं। ये छोटे-छोटे मंत्र जीवन में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। कुल मिलाकर किताब की ख़ासियत यह है कि इसमें सरल और अपनी सी लगने वाली भाषा में युवाओं के मन को टटोलकर उनके मन के उहापोह और उलझनों को सुलझाने की कोशिश की गई है। हर युवा को यह किताब पढ़ डालनी चाहिए।

एक हिंदी मीडियम का छात्र होने के नाते सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते समय किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है?

– यूँ तो कई मुश्किलें हैं; जैसे स्टडी मैटेरियल और अच्छी कोचिंग का न होना। पर सबसे बड़ी मुश्किल है, ख़ुद पर भरोसे की कमी। हिंदी मीडियम के छात्र अक्सर इसी तनाव में रहते हैं कि सफलता की राह में हम पीछे तो नहीं छूट जाएँगे।

आप एक आईएएस अधिकारी हैं। इतनी बड़ी ज़ि‍म्मेदारी के रहते हुए लेखन के लिए समय निकाल पाना कितना मुश्किल होता है?

– हर कोई अपनी-अपनी रुचियों के लिए वक़्त निकालता है। कोई स्पोर्ट्स में रुचि रखता है, तो किसी को जिम/योगा आदि का शौक़ होता है। बचपन से मेरा सबसे ख़ास शौक़ है- राइटिंग। लेखन मेरा जीवन है और मैं तमाम व्यस्तताओं के बावजूद जैसे-तैसे लिखने के लिए वक़्त निकाल ही लेता हूँ।

लेखन में आप को कौन-सी शैली सबसे ज़्यादा पसंद है?

– मुझे ऐसे लेखक पसंद हैं, जो किसी भी कठिन और जटिल बात को सरल ढंग से प्रस्तुत करते हैं। सरल होना इतना भी सरल नहीं है। मुश्किल शब्दों का प्रयोग करके ज्ञान बघारना आसान है, पर मुश्किल कॉन्सेप्ट्स को सरल तरीक़े से समझाना मुश्किल काम है और मुझे हमेशा ऐसे लोग भाते हैं। पुराने ज़माने में बुद्ध, महावीर और कबीर ने यही काम किया था। आजकल ‘नई वाली हिंदी’ के लेखक सरल भाषा और अंदाज़ में लिख रहे हैं।

‘नई वाली हिंदी’ साहित्य जगत में निरंतर आगे बढ़ती जा रही है। आप इसके भविष्य को लेकर क्या सोचते हैं?

– ‘नई वाली हिंदी’ का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। युवा इसे हाथों-हाथ ले रहे हैं। नीलोत्पल मृणाल, सत्य व्यास, दिव्य प्रकाश दुबे, निखिल सचान आदि लेखक कमाल का लिख रहे हैं। ‘नई वाली हिंदी’ के सामने पूरा खुला आसमान है।

संघर्ष और करियर की राह में जुटे युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

– मैं उनसे ‘रुक जाना नहीं’ किताब की ये तीन बातें कहना चाहूँगा:-

अपनी लकीर बड़ी करें।अपनी मजबूरियों को अपनी मज़बूती बनाएँ।अस्त-व्यस्त नहीं, व्यस्त और मस्त रहें।

साथ ही दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियाँ हमेशा याद रखें:-

“इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है, नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है,

एक चिंगारी कहीं से ढूँढ लाओ ऐ दोस्तों, इस दीये में तेल से भीगी हुई बाती तो है।”

Publisher‏:‎Hind Yugm / Eka (18 November 2019)
Language‏:‎Hindi
Paperback‏:‎160 pages
ISBN-10‏:‎9388754786
ISBN-13‏:‎978-9388754781
Item Weight‏:‎295 g
Dimensions‏:‎14 x 2.5 x 21 cm
Country of Origin‏:‎India
Generic Name‏:‎Book